दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में निचली अदालत के दोषसिद्धि और सज़ा के फैसले को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष यह “संदेह से परे” साबित करने में विफल रहा कि 2005 में घटना के समय पीड़िता सहमति की वैधानिक आयु (16 वर्ष) से कम थी।

न्यायमूर्ति स्वरणा कांता शर्मा ने 27 अक्टूबर, 2025 को सुनाए गए एक फैसले में, अपीलकर्ता उदयपाल को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने पाया कि पीड़िता की उम्र के संबंध में अभियोजन पक्ष का पूरा मामला एक स्कूल प्रमाण पत्र (Ex. PW-2/C) पर टिका था, जिसे “आयु का विश्वसनीय प्रमाण नहीं माना जा सकता।” अदालत ने विशेष रूप से इस बात पर गौर किया कि मूल स्कूल प्रवेश रजिस्टर और जन्म तिथि के समर्थन में दिया गया हलफनामा कभी भी ट्रायल कोर्ट के सामने पेश नहीं किया गया।

यह अपील (CRL.A. 155/2007) उदयपाल द्वारा कड़कड़ड

See Full Page