भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ‘स्प्लिट मल्टीप्लायर’ (मुआवजे की गणना के लिए सेवानिवृत्ति से पहले और बाद की अवधि को अलग-अलग आंकना) की अवधारणा ‘मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के लिए विदेशी है’ और ट्रिब्यूनल या अदालतों द्वारा इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसने एक सड़क दुर्घटना में मारे गए 51 वर्षीय सरकारी इंजीनियर के परिवार को दिए जाने वाले मुआवजे को कम करने के लिए स्प्लिट मल्टीप्लायर लागू किया था। कोर्ट ने अपीलकर्ताओं, प्रीता कृष्णन और अन्य , की अपील को स्वीकार करते हुए कुल मुआवजे को बढ़ाकर 47,76,794/- रुपये कर दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 3 अगस्त 2012 को हुई एक मोटर दुर्घटना से संबंधित है, जिसमें 51 वर्षीय टी.आई. कृष्णन की मृत्यु हो गई थी। मृतक अपनी कार

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