छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह व्यवस्था दी है कि यदि पोस्टमार्टम रिपोर्ट को अभियुक्तों द्वारा सीआरपीसी की धारा 294 के तहत स्वीकार कर लिया गया है, तो केवल पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर से जिरह नहीं होने के आधार पर बरी करने का आदेश देना “पूरी तरह से कानून के खिलाफ” है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने हत्या के मामले में 10 प्रतिवादियों की 1998 की रिहाई को रद्द कर दिया और उन्हें आईपीसी की धारा 302/149 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
हाईकोर्ट राज्य सरकार द्वारा द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, महासमुंद के 19 सितंबर, 1998 के फैसले के खिलाफ दायर एक बरी अपील (ACQA No. 418 of 2010) पर सुनवाई कर रहा था। निचली अदालत ने अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 302/149 (हत्या) और 307/149 (हत्या का प्रयास) के आरोपों से बरी कर दिया था, हालांकि उन

LawTrend

Vartha Bharati
Moneylife
Cleveland Jewish News
Page Six
5 On Your Side Sports