दिल्ली हाईकोर्ट ने कनाडा में रहने वाले एक दंपती को जिला मेडिकल बोर्ड के समक्ष चल रही सरोगेसी संबंधी कार्यवाही में वर्चुअल तौर पर शामिल होने की अनुमति दी है। अदालत ने कहा कि इस चरण पर दंपती की शारीरिक मौजूदगी आवश्यक नहीं है, क्योंकि मेडिकल बोर्ड का मुख्य काम उनके चिकित्सा रिकॉर्ड की जांच करना है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने 10 नवंबर को पारित आदेश में कहा कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(iii)(a) के तहत जिला मेडिकल बोर्ड की भूमिका मूलतः दंपती के चिकित्सा रिकॉर्ड की समीक्षा कर यह तय करने तक सीमित है कि उन्हें ‘सर्टिफिकेट ऑफ मेडिकल इंडिकेशन’ मिल सकता है या नहीं। इस उद्देश्य के लिए वर्चुअल उपस्थिति पर्याप्त है।
अदालत ने टिप्पणी की कि यह पूरी प्रक्रिया “मुख्य रूप से रिकॉर्ड के अवलोकन पर आधारित” है और यदि किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो, तो वर्चुअल बातचीत से काम चल जाएगा।
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