केरल हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने एक रिट याचिका को सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया, लेकिन साथ ही याचिकाकर्ता, जो खुद के वकील होने का दावा कर रही थीं, के “घिनौने और निंदनीय” आचरण पर “गहरा सदमा” व्यक्त किया। जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने इस मामले को जांच के लिए बार काउंसिल को भेज दिया है।
अदालत ने एक महिला द्वारा तीन साल पुरानी एकतरफा तलाक की डिक्री को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर रजिस्ट्री की आपत्तियों को बरकरार रखा। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब एक वैधानिक अपील का उपाय उपलब्ध हो, तो ऐसी याचिका सुनवाई योग्य नहीं होती है।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता, जो व्यक्तिगत रूप से (पार्टी-इन-पर्सन) पेश हुईं, ने 20.09.2022 के फैमिली कोर्ट, एर्नाकुलम के “फैसले और डिक्री को चुनौती देने” के लिए यह रिट याचिका दायर की थी। फैमिली कोर्ट ने एक मूल याचिका में याचिकाकर्त

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