भारत के भावी मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने रविवार को लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने युवा कानून स्नातकों को अपने शुरुआती करियर का एक महत्वपूर्ण किस्सा सुनाते हुए अति-आत्मविश्वास (overconfidence) के खतरों से आगाह किया।
जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि कैसे एक सीधा-सादा मुकदमा वह केवल अपने अति-आत्मविश्वास के कारण हार गए थे। उन्होंने कहा कि उस एक असफलता ने उन्हें “हर बार शून्य से शुरुआत करना” सिखाया और यह सबक उनके पूरे पेशेवर जीवन का “आधार” बन गया।
भाइयों के बीच एक संपत्ति विवाद को याद करते हुए जस्टिस कांत ने कहा, “मैं अपनी स्थिति को लेकर इतना आश्वस्त था कि मैंने अपने ड्राफ्ट को दोबारा देखने या अपनी दलीलों पर फिर से विचार करने की जहमत नहीं उठाई।”
उन्होंने आगे कहा, “जब मैं वह केस हार गया, तब मुझे एहसास

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